बेटी-1 बिजळी रो बिल भरण रा पिसा नीं हा । बाप रो ढिलो मूं देख’र बेटी आप री पेटी मांय सूं मुड़ेडा रिपिया ल्याई । ल्यो बापू फेर दे देइयो । *** बेटी-2 कदी किणी री बेटी अब बणी मां । बेटी रा दुख देख’र सिसकारो नाख बोली बेटी तो किणी रै जामै’ई ना । *** | बेटी-3 ब्याह पछै बेटी नै पी’र च्यार दिन ई छोड़ै कोनी जुवाई लार रो लार आज्यै’र मूंडो लटकार कैवै- म्हारी मा री आसंग कोनी म्हे सोचूं- छोरी तो पूरी सूरी पढ़ी ई कोनी अर डाक्टर कद पछै हुयगी ! *** बेटी-4 बेटी री मां नै सुख सूं सोवणो कठै ? क्यूंक जद बा बेटी ही जणां उण री मां सूती सूती चिमकती, जागती सारी सारी रात । *** |
मनोज कुमार स्वामी
संपादक- "सूरतगढ़ टाइम्स" (पाक्षिक)

Saturday, December 18, 2010
बेटी : च्यार कवितावां
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About Me

- मनोज कुमार स्वामी
- जलम 31 मई, 1962 नै हुयो । राजस्थानी भाषा आंदोलन रा हरावळ सिपाही रूप ओळख । सूरतगढ़ टाइम्स रै संपादक रै रूप में राजस्थानी साहित्य अर गतिविधियां नै बरसां सूं घणै चाव सूं प्रचारित-प्रसारित कर रैयो हूं, म्हारी पोथ्यां में "तांतड़ै रा आंसू" (बाल कथावां), "काचो सूत" (कहाणी संगै), "रीचार्ज" (एकांकी संगै) रै सागै ई "बेटी" नांव सूं कविता-संग्रै ई छप्योड़ी है । कहाणी "औसर" माथै टेली फिल्म ई बणाइजी । केई मान-सम्मानां अर पुरस्कार ।